एक बार फिर खिलेगी ‘फूलों की घाटी’, दिखेगी खूबसूरत फूलों की अनगिनत प्रजातियां

एक बार फिर खिलेगी ‘फूलों की घाटी’, दिखेगी खूबसूरत फूलों की अनगिनत प्रजातियां

उत्तराखंड भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। फूलों की घाटी, उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान, “फूलों की नंदा घाटी” के रूप में जाना जाता है। इसे “देवी राष्ट्रीय उद्यान” के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि फूलों की घाटी की उत्पत्ति पिंडर से हुई है, जिसका अर्थ है पहाड़ों का क्षेत्र जहां महादेव निवास करते हैं। कहा जाता है कि इस घाटी में भगवान शिव का एक समूह है और नंदा देवी यात्रा द्वारा यहां मां नंदा को लाया जाता है। नहीं।

फूलों की घाटी भी दुनिया भर के पर्वतारोहियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां अलग-अलग जगहों से लोग ट्रैकिंग के लिए आते हैं। फूलों की घाटी अपने आप में एक अजूबा है। हर 2 हफ्ते में घाटी रंग बदलती है और घाटी रंग बदलती है। यह कभी लाल, कभी पीला तो कभी हल्का सुनहरा दिखाई देता है। घाटी केवल जून से अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है। शेष वर्ष घाटी बर्फ से ढकी रहती है। कहा जाता है कि यहां ज्यादातर फूल जुलाई के महीने में खिलते हैं।

  • फूलों की घाटी की खोज कैसे हुई?

फ्रैंक एस., एक ब्रिटिश पर्वतारोही, जिसने 1931 में नब्बे के दशक में हिमालय पर चढ़ाई की थी। स्मिथ और उनके साथी रास्ते में ही खो गए। फिर रास्ता खोजते हुए वे एक घाटी में चले गए। वे घाटी को देखकर चकित रह गए। ऐसा नजारा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। पूरी घाटी फूलों से लदी हुई थी। वहां तरह-तरह के फूल मौजूद थे। पर्वतारोहियों ने इस तरह के खूबसूरत नज़ारों को देखकर घाटी को फूलों की घाटी का नाम दिया और बाद में फ्रैंक स्मिथ ने इसी नाम की एक किताब लिखी, “फूलों की घाटी।”

  • फूलों की घाटी तक कैसे पहुंचे?

फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले के पुलना (गोविंदघाट) गांव में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आप ऋषिकेश, श्रीनगर, टिहरी, रुद्रप्रयाग, कर्ण प्रयाग से गोविंदघाट के लिए टैक्सी बुक कर सकते हैं।

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